मैं किताब हूं
मैं कविता की दो पंक्ति हूं मैं किताब हूं||
आसमान की ऊंचाई और ज्ञान का भंडार हूं||
मुझमें ही ज्ञान भरा, विज्ञान का चमत्कार हूं||
मैं किताब हूं
तितलियों की तरह आसमान की ऊंचायो में, उड़ता मैं रहा बदलो की परछाई में||
मनुष्य की इच्छायों पूरा करना काम है|| अनचाहा राह को दिखाना मेरा नाम है
, राह में चलते हुए ज्ञान का मार्ग हूं कविता की दो पंक्ति हूं मैं किताब हूं
प्रो - भोला हरिपाल
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